देश का कोना कोना घूम आया है वो ...
पर उसका अपने पडोसी के घर जाना ,तो अभी बाक़ी है.
चंद सिक्कों के लिए पत्थर तोड़ता है वो...
पर उसका ,गुलामी की जंजीरे तोड़ना , तो अभी बाक़ी है .
गिर गिर के संभालने की आदत सी हो गई है उसे ...
पर उस का खुले आसमा में उड़ना, तो अभी बाक़ी है .
एक अर्सा गुजर गया दोनों को साथ रहते रहते ...
पर उनका एक दूसरे को , समझना तो अभी बाक़ी है .
आंसू के उस एक कतरे ने एहसास दिलाया उसे...
जिन्दा है वो ,क्यूंकि उस में कुछ जज्बात तो अभी बाक़ी हैं .
पर उसका अपने पडोसी के घर जाना ,तो अभी बाक़ी है.
चंद सिक्कों के लिए पत्थर तोड़ता है वो...
पर उसका ,गुलामी की जंजीरे तोड़ना , तो अभी बाक़ी है .
गिर गिर के संभालने की आदत सी हो गई है उसे ...
पर उस का खुले आसमा में उड़ना, तो अभी बाक़ी है .
एक अर्सा गुजर गया दोनों को साथ रहते रहते ...
पर उनका एक दूसरे को , समझना तो अभी बाक़ी है .
आंसू के उस एक कतरे ने एहसास दिलाया उसे...
जिन्दा है वो ,क्यूंकि उस में कुछ जज्बात तो अभी बाक़ी हैं .