और यादों के भंवर में , इन्सान फंसता चला जाता है .
ऐसा क्यों,कि अपनों का साथ बीच में छूट जाता है ...
और दूर रह कर भी कोई मन में बस जाता है .
ऐसा क्यों, कि अकेलेपन से हर इन्सान घबराता है...
और कई बार भीड़ में भी, इन्सान खुद को अकेला पाता है.
ऐसा क्यों , कि हर इन्सान बस जीतना ही चाहता है...
और कई बार जीत कर भी, अपने आप से हार जाता है
ऐसा क्यों, कि साथ चलने से फ़ासला कम नज़र आता है...
और जब साथ रहते हैं तो अहम् टकराता है.
ऐसा क्यों, कि इन्सान ही इन्सान को समझ नहीं पाता है ...
और कई बार, इंसानीयत पर से विश्वास उठ जाता है.
ऐसा क्यों,कि सुख में,अपनी रफ़्तार से चलता समय,पल में ही बीत जाता है ...
और दुःख में चलता समय , थमा सा नज़र आता है.
ऐसा क्यों, कि हर प्रार्थना का उत्तर नहीं आता है...
और कई बार भगवान का भेजा सन्देश इन्सान समझ नहीं पाता है.
10 out of 10
ReplyDeleteऐसा क्यों, कि हर प्रार्थना का उत्तर नहीं आता है......
ReplyDeleteऔर कई बार भगवान का भेजा सन्देश इन्सान समझ नहीं पाता है.
Too Good u can write soooooooooooooo well.Now it's time u develop ur other qualities dancing,photography,sketching,direction etc etc
too gud
ReplyDeletehey you can write real good stuff...
ReplyDelete@manisha di,apoorv,sabeeha,seemee...thanks !
ReplyDeletei luv dis{ऐसा क्यों, कि अकेलेपन से हर इन्सान घबराता है...
ReplyDeleteऔर कई बार भीड़ में भी, इन्सान खुद को अकेला पाता है.
}
nw i m regretng... pehle kyo ni padha mene.........
awsum thoughts i mst say.... carry on
Tumhe mujhe pehle link bhejni thi....
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